Computer Security Tips


सायबर अपराध और उससें सम्बंधित जानकारी होना बहुत जरुरी...
साइबर क्राइम का निशाना बनते बच्चे
हाल ही में मुंबई में सोशल साइट के ज़रिए ठगी का एक मामला प्रकाश में आया, जिसमें 14 साल की एक लड़की से 10 लाख रुपए ठगे गए. इस केस में 18 साल के एक लड़के ने एफबी (फेसबुक) पर फर्ज़ी अकाउंट बनाकर लड़की से दोस्ती की और उसे अपने जाल में फंसा लिया. उसके ख़ूबसूरत चेहरे और चिकनी-चुपड़ी बातों में आकर लड़की ने उसे घर वालों से चुराकर 10 लाख रुपए दे दिए. अपनी तरह का ये कोई पहला मामला नहीं है. अक्सर एफबी पर धोखाधड़ी के मामले सामने आते रहते हैं.
दिल्ली की 15 वर्षीया छात्रा पूजा को उसके दोस्त आदित्य ने जब फोन करके पूछा कि वो उसे भद्दे मैसेज और लिंक क्यों भेज रही है, तो पूजा को कुछ समझ नहीं आया, क्योंकि वो काफ़ी समय से अपना एफबी यूज़ नहीं कर रही थी. फिर उसने फेसबुक लॉगिन करके अपना नाम सर्च किया तो उस नाम से 2-3 प्रोफाइल बने थे, जिसमें बक़ायदा उसकी फोटो भी लगी थी. साफ़ था, किसी ने उसकी आइडेंटटी चुराकर उसका ग़लत इस्तेमाल किया था.
दरअसल, आजकल टीनएजर्स धड़ल्ले से सोशल साइट्स का इस्तेमाल करके अपनी फोटो से लेकर निजी जानकारी और राय दोस्तों से शेयर करते हैं, लेकिन ये सब करते समय वो सिक्योरिटी सिस्टम को भूल जाते हैं, जिससे कोई भी हैकर आसानी से उनकी डिटेल्स चुराकर उसका ग़लत इस्तेमाल करने लगता है. इन दिनों चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़ी चीज़ें भी नेट पर बहुत उपलब्ध हैं. चाइल्ड पोर्नोग्राफी के तहत बच्चों को बहला-फुसलाकर ऑनलाइन संबंधों के लिए तैयार करना, फिर उनके साथ संबंध बनाना या बच्चों से जुड़ी यौन गतिविधियों को रिकॉर्ड करना, एमएमएस बनाना और दूसरों को भेजना आदि इसके तहत आता है. विशेषज्ञों के मुताबिक, सोशल साइट्स के ख़तरों से बच्चों को बचाने के लिए पैरेंट्स को चाहिए कि उन्हें सही उम्र से पहले स्मार्टफोन, इंटरनेट आदि से दूर रखें. इसके अलावा पैरेंट्स और बच्चे के बीच बॉन्डिंग बेहद ज़रूरी है ताकि वो अपनी हर अच्छी-बुरी बात आपसे शेयर करें. बच्चों के साथ अपराध बढ़ने का एक कारण ये भी है कि वो साइट्स के एथिक्स को फॉलो नहीं करते, जैसे एफबी पर अकाउंट ओपन करने के लिए एज लिमिट है जिसे कोई फॉलो नहीं कर रहा. बच्चों की ज़िंदगी में जिस तेज़ी से इंटरनेट की पैठ बढ़ती जा रही है, उसे देखते हुए पैरेंट्स को सतर्क रहने की ज़रूरत है.
क्या है क़ानून?
भारत में साल 2000 में सूचना तकनीक अधिनियम (आईटी एक्ट) पारित हुआ, जिसमें बाद में 2008 में कुछ संशोधन किए गए.
* आईटी एक्ट की धारा 66 ए के तहत कंप्यूटर और अन्य संचार माध्यमों के ज़रिए ऐसे संदेश भेजने की मनाही है जिससे किसी को परेशानी हो, उसका अपमान हो, उसे ख़तरा हो या उस व्यक्ति को मानसिक चोट पहुंचे, आपराधिक उकसावा मिले या दुर्भावना या शत्रुता की भावना से प्रेरित हो.
* इसका उल्लंघन करने पर 3 साल तक की सज़ा या जुर्माना हो सकता है.
* इस अपराध में आसानी से जमानत मिल जाती है.
* आईटी एक्ट 2008 (संशोधित) की धारा 67 बी के तहत चाइल्ड पोर्नोग्राफी के अपराध के लिए 5 साल की जेल या 10 लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान  है.
एहतियाती क़दम
आज के ज़माने में ख़ुद को और बच्चों को साइबर वर्ल्ड से पूरी तरह दूर रखना नामुमक़िन है, लेकिन कुछ बातों का ध्यान रखकर आप साइबर अपराधियों का निशाना बनने से बच सकते हैं.
* सोशल साइट्स का इस्तेमाल करते समय बहुत ज़रूरी है कि आप उसके सिक्योरिटी सिस्टम को एक्टिवेट करें, किसी भी अनजान शख़्स की फ्रेंड  रिक्वेस्ट को एक्सेप्ट न करें.
* किसी के बेहुदा मैसेज का जवाब न दें. अपनी फोटो व पर्सनल डिटेल को रिस्ट्रिक्ट कर दें 

ताकि आपके गिने-चुने दोस्तों को छोड़कर कोई अन्य व्यक्ति  उस तक न पहुंच सके.
* ऑनलाइन निजी जानकारी (फोन नंबर, बैंक डिटेल आदि) किसी से शेयर न करें
* उत्तेजक स्क्रीन नाम या ईमेल एड्रेस का इस्तेमाल न करें.
* किसी अनजान शख़्स से ऑनलाइन फ्लर्ट या बहसबाज़ी न करें.
* अपना पासवर्ड किसी से शेयर न करें.
* एक अच्छे एंटी वायरस प्रोग्राम का इस्तेमाल करें.
* अपनी पूरी बातचीत को कंप्यूटर पर सेव रखें.
* ऑनलाइन लॉटरी जीतने वाले ईमेल का जवाब न दें.
* कोई अनजान शख़्स इंटरव्यू, नौकरी या कोई गिफ्ट देने के बहाने यदि आपकी बैंक डिटेल्स मांगता है, तो ऐसे ईमेल का भी जवाब न दें.
* समय-समय पर पासवर्ड बदलते रहें.
* सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर दोस्तों की संख्या सीमित रखें.
* सोशल साइट्स पर पर्सनल फोटो अपलोड करने से बचें.
* यदि आपके कंप्यूटर में वेबकैम लगा है तो ध्यान रखें कि इस्तेमाल न होने पर उसे अनप्लग कर दें.

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